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इकाई – 1 झंडा ऊँचा रहे हमारा मातृभूमि -कविता ( मैथिली शरण गुप्त)


सूचना :-निम्नलिखित प्रश्नों का उत्तर चार या पाँच वाक्यों में लिखिये 
१.कवि ने मातृभूमि का वर्णन किस प्रकार किया है ?
उत्तर :- कवि ने सिंहासन पर आरूढ़ एक रानी के रूप में  भारत माता  का चित्रण किया है। कवि  को  मातृभूमि,भूमि का सिर्फ एक खंड नहीं ,बल्कि सर्वेश की सगुण मूर्ति लगती है। हरी-भरी धरती पर आकाश रूपी नीला वस्त्र  कवि को सुन्दर लगता है। दिन को सूर्य और रात  को चंद्र मातृभूमि के मुकुट है।  समुद्र उसकी करधनी है। नदियाँ  देशवासियों के प्रति प्रेम -प्रवाह  है ,फूल और तारे उनके आभूषण  हैं । यहाँ के   सारे पक्षीगण मातृभूमि की वंदना करते  हैं । शेष नाग के फन रूपी सिंहासन पर  भारत माता विराजमान है। मेघ उन पर वर्षा का अभिषेक करता है। 
२.’हम खेले -कूदे हर्षयुत ,जिसकी प्यारी गोद में ‘-मातृभूमि की प्यारी गोद में बैठकर हम क्या करते हैं ?
उत्तर :- मातृभूमि की प्यारी गोद में ही हम सब खेले-कूदे और बड़े हुए थे अतः  हमारे जीवन का हर मोड़ मातृभूमि से जुड़े हुए हैं। 
३. “तेरा प्रत्युपकार कभी क्या हमसे होगा “-मातृभूमि कविता में कवि  ऐसा क्यों कहते हैं ?
उत्तर:- मैथिली शरण गुप्त की विख्यात कविता है मातृभूमि। इसमें कवि  ने मातृभूमि की महिमा का  गुणगान किया   है। इस पृथ्वी पर   हम जितना भी सुख पाते है ,वे  सब मातृभूमि का वरदान है । वह अपनी प्यारी गोद में खेलने कूदने का सौभाग्य  हमें दिया  है। यह देह मातृभूमि द्वारा दी गयी है ,मातृभूमि से ही बनी है।   जिस प्रकार माँ अपना सर्वस्व देकर बच्चों का पालन-पोषण करती है ,उसी प्रकार मातृभूमि की धूलि में सरककर बच्चा बड़ा हो जाता  है। जीवन के अंत में जब हमारी मृत्यु हो जाएगी तब हम मातृभूमि की गोद  में ही घुल – मिल जायेंगी  । इसलिए कवि कहते है,हे  मातृभूमि ,हमारे लिए तुमने जो कुछ दिया है,उसका प्रत्युपकार हमसे नहीं हो पायेंगे। 


सूचना :-निम्नलिखित कवितांश पढ़ें और १ से ४ तक के प्रश्नों के उत्तर लिखें।  “नीलाम्बर परिधान हरित तट पर सुन्दर है।  सूर्य -चंद्र युग मुकुट ,मेखला रत्नाकर है।Iनदियां   प्रेम-प्रवाह फूल तारे मंडन हैं। बंदी-जन खग -वृन्द,शेष फन सिंहासन है IIकरते अभिषेक पयोद हैं ,बलि हारी इस वेष की।हे मातृभूमि तू सत्य ही ,सगुण मूर्ति सर्वेश की। “ 
१.उपर्युक्त पंक्तियों का  रचनाकार कौन है ?  (आनंद बख्शी ,कुँवर नारायण,मैथिली शरण गुप्त, जगदीश गुप्त )
उत्तर:-मैथिली शरण गुप्त
२. रत्नाकर शब्द का समानार्थी  शब्द कोष्ठक से चुनकर लिखें (नदी ,समुद्र ,तालाब,नाला )

उत्तर:-समुद्र 
३. मातृभूमि के आभूषण क्या-क्या हैं ?
उत्तर:- नीलाम्बर, सूर्य चंद्र, रत्नाकर, नदियां, फूल -तारे , खग-वृन्द, शेषफन आदि मातृभूमि के आभूषण हैं।

   ४. कवितांश की आस्वादन टिप्पणी लिखें। 
उत्तर:- श्री मैथिली शरण गुप्त जी द्विवेदी युग के  प्रतिनिधि राष्ट्र कवि थे। राष्ट्र प्रेम की भावनायें उनकी रचनाओं में सर्वत्र पाई जाती हैं। भाषा की सरलता एवं स्वच्छता पर उन्होंने विशेष ध्यान रखा है। मातृभूमि की महिमा पर उन्होंने अनेक कवितायें  लिखी हैं।   मातृभूमि की महत्ता   का वर्णन करते हुए कवि कहते  हैं -हे मातृभूमि ,तेरे हरे वस्त्र पर  नीलाकाश  रूपी आवरण बहुत सुन्दर लगता है। सूर्य और चंद्र दोनों तेरे मुकुट के सामान शोभित है। समुद्र तेरी करधनी है। नदियों के रूप में प्रेम की धारा बह रही है। फूल और तारे  तेरे आभूषण हैं। शेष नाग का फन  तेरा सिंहासन है। बादल  तेरा अभिषेक करता है। हे मातृभूमि ,तू धन्य है। तू सत्य ही ईश्वर की जीती-जागती  मूर्ति है।   तुझ  पर हम बलिहारी हैं।  
धरती माँ के समान है। वह जीवनदायिनी है। हमें उसकी गरिमा पर गर्व करनी चाहिए। प्रकृति के प्रति हो रही अमानवीय प्रवत्तियों और कुकृत्यों के इस  समय में यह कविता बहुत प्रासंगिक  है।  

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